एशिया पैसिफिक में अमेरिकी मिसाइल सिस्टम... चीन-रूस-कोरिया को काबू में करने के लिए नया प्लान
- Published By : Jago News
- Updated on : 2024-04-05 16:14:46
चीन, रूस और उत्तर
कोरिया की हरकतों पर रोक लगाने के लिए अमेरिका एशिया-पैसिफिक रीजन में मीडियम रेंज
की मिसाइल तैनात करने जा रहा है. इस बात की पुष्टि टोक्यो में मौजूद अमेरिकी
एंबेसी ने की. जिसके बारे में जापानी मीडिया संस्थानों ने खबर छापी है. ये मिसाइल
सिस्टम इस साल के अंत तक तैनात कर दी जाएंगी.
अमेरिका की प्लानिंग है कि चीन की हरकतों पर विराम लगाया जाए. इसलिए वह दिसंबर 2024
तक
सतह से लॉन्च होने वाली मीडियम रेंज की मिसाइल एशिया पैसिफिक इलाके में तैनात
करेगा. पिछले साल अमेरिका ने इसकी घोषणा की थी लेकिन इस चीज की पुष्टि नहीं हुई
थी. अब हो चुकी है. हालांकि यह खुलासा नहीं किया गया है कि कौन सा मिसाइल सिस्टम
तैनात किया जाएगा. लेकिन अमेरिका के पास बेहतरीन टाइफून सिस्टम है.
टाइफून सिस्टम (The Typhoon System) से दो तरह की मिसाइलें दागी जा सकती हैं. पहली स्टैंडर्ड
मिसाइल-6 (SM-6) इंटरसेप्टर मिसाइल और दूसरी टोमाहॉक क्रूज मिसाइल (Tomahawk Cruise Missile). इन मिसाइलों की रेंज 500 से 2700 किलोमीटर
है. अगर यह जापान या दक्षिण कोरिया में कहीं तैनात की जाती है, तो
इससे चीन का बड़ा इलाका कवर हो जाएगा. साथ ही साउथ चाइना सी में चीन अपनी हरकतें
नहीं कर पाएगा.
कहां तैनात हो सकती हैं ये मिसाइलें?
सिर्फ इतना ही नहीं, इन मिसाइलों को
प्रेसिशन स्ट्राइक मिसाइल (PrSM) से भी लैस किया जा
सकता है. ये मिसाइलें इसी साल अमेरिकी सेना में शामिल होने वाली हैं. इन मिसाइलों
को HIMARS सिस्टम से लॉन्च किया जाता है. ये 500 किलोमीटर रेंज वाली
तेज गति की मिसाइलें हैं. जबकि, SM-6 370 km रेंज की मिसाइल है.
तैनाती के लिए पहली पसंद है जापान
माना जा रहा है कि
जापान ही इस मिसाइल सिस्टम का बेस होगा. सिस्टम को गुआम में स्थाई तौर पर तैनात
किया जाएगा. लेकिन फिलहाल अस्थाई तौर पर इसे जापान में लगाया जाएगा. अगर कोई
संघर्ष या जंग की स्थिति बनती है तो इन मिसाइल सिस्टम को और भी एडवांस पोजिशन पर
तैनात किया जा सकता है.
क्या फायदा होगा
मिसाइलों की तैनाती से?
ताइवान की खाड़ी और
साउथ चाइना सी में होने वाले संघर्षों और विवादों पर विराम लगाने के लिए इन
मिसाइलों का तैनात होना जरूरी है. इसलिए चीन को शांत रखने के लिए इन मिसाइलों को
ऐसी जगह पर तैनात करना है, जहां
से आसानी से चीन की राजधानी को निशाना बनाया जा सके. इसके लिए जापान, फिलिपींस, दक्षिण कोरिया जैसी
जगहें उपयुक्त हो सकती हैं.
ये जगहें क्यों चुनी जा रही हैं तैनाती के लिए
साल 1987
में रूस और अमेरिका के बीच इंटरमीडियट-रेंज न्यूक्लियर
फोर्स (INF) ट्रीटी
हुई थी. इसके तहत अमेरिका और रूस दोनों एक दूसरे की सीमा के आसपास सतह से लॉन्च
होने वाली बैलिस्टिक या क्रूज मिसाइलों को 500 से 5500
किलोमीटर की रेंज तक तैनात नहीं कर सकते.
चीन और अमेरिका के बीच मिसाइलों की दौड़
इसलिए अमेरिका ने 2019 के बाद नई मिसाइल बनाई. यह मिसाइल मीडियम रेंज की है.
उधर चीन भी इस तरह की मिसाइलें बना रहा है. चीन के पास मीडियम रेंज की 1000 से
ज्यादा मिसाइलें हैं. जो कुछ सौ किलोमीटर तक घातक हमला कर सकती हैं. लेकिन अमेरिकी
मिसाइलों की तैनाती के बाद चीन अपनी हरकतों पर विराम लगा सकता है. या धीमा कर सकता
है.